17-02-04   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“शिवरात्रि जन्म उत्सव का विशेष स्लोगन - सर्व को सहयोग दो और सहयोगी बनाओ, सदा अखण्ड भण्डारा चलता रहे”

आज बापदादा स्वयं अपने साथ बच्चों का हीरे तुल्य जन्म दिन शिव जयन्ती मनाने आये हैं। आप सभी बच्चे अपने पारलौकिक, अलौकिक बाप का बर्थ डे मनाने आये हैं तो बाप फिर आपका मनाने आये हैं। बाप बच्चों के भाग्य को देख हर्षित होते हैं वाह मेरे श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चे वाह! जो बाप के साथ-साथ अवतरित हुए विश्व के अन्धकार को मिटाने के लिए। सारे कल्प में ऐसा बर्थ डे किसी का भी नहीं हो सकता, जो आप बच्चे परमात्म बाप के साथ मना रहे हो। इस अलौकिक अति न्यारे, अति प्यारे जन्म दिन को भक्त आत्मायें भी मनाती हैं लेकिन आप बच्चे मिलन मनाते हो और भक्त आत्मायें सिर्फ महिमा गाते रहते हैं। महिमा भी गाते, पुकारते भी, बापदादा भक्तों की महिमा और पुकार सुनकर उन्हें भी नम्बरवार भावना का फल देते ही हैं। लेकिन भक्त और बच्चे दोनों में महान अन्तर है। आपका किया हुआ श्रेष्ठ कर्म, श्रेष्ठ भाग्य का यादगार बहुत अच्छा मनाते हैं इसीलिए बापदादा भक्तों के भक्ति की लीला देख उन्हें भी मुबारक देते हैं क्योंकि यादगार सब अच्छी तरह से कॉपी की है। वह भी इसी दिन व्रत रखते हैं, वह व्रत रखते हैं थोड़े समय के लिए, अल्पकाल के खान-पान और शुद्धि के लिए। आप व्रत लेते हो सम्पूर्ण पवित्रता, जिसमें आहार-व्यवहार, वचन, कर्म, पूरे जन्म के लिए व्रत लेते हो। जब तक संगम की जीवन में जीना है तब तक मन-वचन-कर्म में पवित्र बनना ही है। न सिर्फ बनना है लेकिन बनाना भी है। तो देखो भक्तों की बुद्धि भी कम नहीं है, यादगार की कॉपी बहुत अच्छी की है। आप सभी सब व्यर्थ समर्पण कर समर्थ बने हो अर्थात् अपने अपवित्र जीवन को समर्पण किया, आपकी समर्पणता का यादगार वह बलि चढ़ाते हैं लेकिन स्वयं को बलि नहीं चढ़ाते, बकरे को बलि चढ़ा देते हैं। देखो कितनी अच्छी कॉपी की है, बकरे को क्यों बलि चढ़ाते हैं? इसकी भी कॉपी बहुत सुन्दर की है, बकरा क्या करता है? में-में-में करता है ना! और आपने क्या समर्पण किया? मैं, मैं, मैं। देह-भान का मैं-पन, क्योंकि इस मैं-पन में ही देह-अभिमान आता है। जो देह-अभिमान सभी विकारों का बीज है।

बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि सर्व समार्पित होने में यह देह भान का मैं-पन ही रूकावट डालता है। कॉमन मैं-पन, मैं देह हूँ, वा देह के सम्बन्ध का मैं-पन, देह के पदार्थों का समर्पण यह तो सहज है। यह तो कर लिया है ना? कि नहीं, यह भी नहीं हुआ है! जितना आगे बढ़ते हैं उतना मैं-पन भी अति सूक्ष्म महीन होता जाता है। यह मोटा मैं-पन तो खत्म होना सहज है। लेकिन महीन मैं-पन है - जो परमात्म जन्म सिद्ध अधिकार द्वारा विशेषतायें प्राप्त होती हैं, बुद्धि का वरदान, ज्ञान स्वरूप बनने का वरदान, सेवा का वरदान वा विशेषतायें, या प्रभु देन कहो, उसका अगर मैं-पन आता तो इसको कहा जाता है महीन मैं-पन। मैं जो करता, मैं जो कहता वही ठीक है, वही होना चाहिए, यह रॉयल मैं-पन उड़ती कला में जाने के लिए बोझ बन जाता है। तो बाप कहते इस मैं-पन का भी समर्पण, प्रभु देन में मैं-पन नहीं होता, न मैं न मेरा। प्रभु देन, प्रभु वरदान, प्रभु विशेषता है। तो आप सबकी समर्पणता कितनी महीन है। तो चेक किया है? साधारण मैं-पन वा रॉयल मैं-पन दोनों का समर्पण किया है? किया है या कर रहे हैं? करना तो पड़ेगा ही। आप लोग आपस में हंसी में कहते हो ना, मरना तो पड़ेगा ही। लेकिन यह मरना भगवान की गोदी में जीना है। यह मरना, मरना नहीं है। 21 जन्म देव आत्माओं के गोदी में जन्मना है। इसीलिए खुशी-खुशी से समार्पित होते हो ना! चिल्ला के तो नहीं होते? नहीं। भक्ति में भी चिल्लाया हुआ बलि स्वीकार नहीं होती है। तो जो खुशी से समार्पित होते हैं, हद के मैं और मेरे में, वह जन्म-जन्म वर्से के अधिकारी बन जाते हैं।

तो चेक करना - किसी भी व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ बोल, व्यर्थ चलन के परिवर्तन करने में खुशी से परिवर्तन करते वा मजबूरी से? मुहब्बत में परिवर्तन होते या मेहनत से परिवर्तन होते? जब आप सभी बच्चों ने जन्म लेते ही अपने जीवन का आक्युपेशन यही बनाया है - विश्व परिवर्तन करने वाले, विश्व परिवर्तक। यह आप सबका, ब्राह्मण जन्म का आक्युपेशन है ना! है पक्का तो हाथ हिलाओ। झण्डे हिला रहे हैं, बहुत अच्छा। (सभी के हाथों में शिवबाबा की झण्डियां हैं जो सभी हिला रहे हैं) आज झण्डों का दिन है ना, बहुत अच्छा। लेकिन ऐसे ही झण्डा नहीं हिलाना। ऐसे झण्डा हिलाना तो बहुत सहज है, मन को हिलाना है। मन को परिवर्तन करना है। हिम्मत वाले हो ना। हिम्मत है? बहुत हिम्मत है, अच्छा।

बापदादा ने एक खुशखबरी की बात देखी, कौन सी, जानते हो? बापदादा ने इस वर्ष के लिए विशेष गिफ्ट दी थी कि ``इस वर्ष अगर थोड़ी भी हिम्मत रखेंगे, किसी भी कार्य में, चाहे स्व-परिवर्तन में, चाहे कार्य में, चाहे विश्व सेवा में, अगर हिम्मत से किया तो इस वर्ष को वरदान मिला है एकस्ट्रा मदद मिलने का।'' तो बापदादा ने खुशी की खबर या नजारा क्या देखा! कि इस बारी की शिव जयन्ती की सेवा में चारों ओर बहुत-बहुत-बहुत अच्छी हिम्मत और उमंग-उत्साह से आगे बढ़ रहे हैं। (सभी ने ताली बजाई) हाँ ताली भले बजाओ। सदा ऐसे ताली बजायेंगे या शिवरात्रि पर? सदा बजाते रहना। अच्छा। चारों ओर से तो मधु-बन में समाचार लिखते हैं और बापदादा तो वतन में ही देख लेते हैं। उमंग अच्छा है और प्लैन भी अच्छे बनाये हैं। ऐसे ही सेवा में उमंग और उत्साह विश्व की आत्माओं में उमंग-उत्साह बढ़ायेगा। देखो निमित्त दादी की कलम ने कमाल तो की है ना! अच्छी रिजल्ट है। इसलिए बापदादा अभी एक-एक सेन्टर का नाम तो नहीं लेंगे लेकिन विशेष सभी तरफ के सेवा की रिजल्ट की, बाप-दादा हर एक सेवाधारी बच्चे की विशेषता और नाम ले लेकर पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। देख भी रहे हैं, बच्चे अपने-अपने स्थान पर देख के खुश हो रहे हैं। विदेश में भी खुश हो रहे हैं क्योंकि आप सभी तो वही विश्व की आत्माओं के लिए इष्ट देवी और देव-तायें हो ना। बापदादा जब बच्चों की सभा को देखते हैं तो तीन रूपों से देखते हैं:-

1- वर्तमान स्वराज्य अधिकारी, अभी भी राजे हो। लौकिक में भी बाप बच्चों को कहते हैं मेरे राजे बच्चे, राजा बच्चा। चाहे गरीब भी हो तो भी कहते हैं राजा बच्चा। लेकिन बाप वर्तमान संगम पर भी हर बच्चे को स्वराज्य अधिकारी राजा बच्चा देखते हैं। राजे हो ना! स्वराज्य अधिकारी। तो वर्तमान स्वराज्य अधिकारी।

2- भविष्य में विश्व राज्य अधिकारी और

3- द्वापर से कलियुग अन्त तक पूज्य, पूजन के अधिकारी - इन तीनों रूपों में हर बच्चे को बापदादा देखते हैं। साधारण नहीं देखते हैं। आप कैसे भी हो लेकिन बापदादा हर एक बच्चे को स्वराज्य अधिकारी राजा बच्चा देखते हैं। राजयोगी हो ना! कोई इसमें प्रजा योगी है क्या? प्रजायोगी है? नहीं। सब राजयोगी हैं। तो राजयोगी अर्थात् राजा। ऐसे स्वराज्य अधिकारी बच्चों का बर्थ डे मनाने स्वयं बाप आये हैं। देखो, आप डबल विदेशी तो विदेश से आये हो, बर्थ डे मनाने। हाथ उठाओ डबल विदेशी। तो ज्यादा में ज्यादा दूरदेश कौन सा है? अमेरिका या उससे भी दूर है? और बापदादा कहाँ से आया है? बापदादा तो परमधाम से आये हैं। तो बच्चों से प्यार है ना! तो जन्म दिन कितना श्रेष्ठ है, जो भगवान को भी आना पड़ता है। हाँ यह (बर्थ डे का एक बैनर सभी भाषाओं का बनाया हुआ दिखा रहे हैं) अच्छा बनाया है, सभी भाषाओं में लिखा है। बापदादा सभी देश के सभी भाषाओं वाले बच्चों को बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं।

देखो, बाप की शिव जयन्ती मनाते हैं लेकिन बाप है क्या? बिन्दी। बिन्दी की जयन्ती, अवतरण मना रहे हैं। सबसे हीरे तुल्य जयन्ती किसकी है? बिन्दू की, बिन्दी की। तो बिन्दी की कितनी महिमा है! इसीलिए बापदादा सदा कहते हैं कि तीन बिन्दू सदा याद रखो - आठ नम्बर, सात नम्बर तो फिर भी गड़बड़ से लिखना पड़ेगा लेकिन बिन्दू कितना इजी है। तीन बिन्दू - सदा याद रखो। तीनों को अच्छी तरह से जानते हो ना। आप भी बिन्दू, बाप भी बिन्दू, बिन्दू के बच्चे बिन्दू हो। और कर्म में जब आते हो तो इस सृष्टि मंच पर कर्म करने के लिए आये हो, यह सृष्टि मंच ड्रामा है। तो ड्रामा में जो भी कर्म किया, बीत गया, उसको फुलस्टाप लगाओ। तो फुलस्टाप भी क्या है? बिन्दू। इसलिए तीन बिन्दू सदा याद रखो। सारी कमाल देखो, आजकल की दुनिया में सबसे ज्यादा महत्व किसका है? पैसे का। पैसे का महत्व है ना! माँ बाप भी कुछ नहीं हैं, पैसा ही सब कुछ है। उसमें भी देखो अगर एक के आगे, एक बिन्दी लगा दो तो क्या बन जायेगा! दस बन जायेगा ना। दूसरी बिन्दी लगाओ, 100 हो जायेगा। तीसरी लगाओ-1000 हो जायेगा। तो बिन्दी की कमाल है ना। पैसे में भी बिन्दी की कमाल है और श्रेष्ठ आत्मा बनने में भी बिन्दी की कमाल है। और करनकरावनहार भी बिन्दू है। तो सर्व तरफ किसका महत्व हुआ! बिन्दू का ना। बस बिन्दू याद रखो और विस्तार में नहीं जाओ, बिन्दू तो याद कर सकते। बिन्दू बनो, बिन्दू को याद करो और बिन्दू लगाओ, बस। यह है पुरूषार्थ। मेहनत है? या सहज है? जो समझते हैं सहज है वह हाथ उठाओ। सहज है तो बिन्दू लगाना पड़ेगा। जब कोई समस्या आती है तब बिन्दू लगाते हो या क्वेश्चन मार्क? क्वेश्चन मार्क नहीं लगाना, बिन्दू लगाना। क्वेश्चन मार्क कितना टेढ़ा होता है। देखो, लिखो क्वेश्चन मार्क, कितना टेढ़ा है और बिन्दू कितना सहज है। तो बिन्दू बनना आता है? आता है? सभी होशियार हैं।

बापदादा ने विशेष सेवाओं के उमंग-उत्साह की मुबारक तो दी, बहुत अच्छा कर रहे हैं, करते रहेंगे लेकिन आगे के लिए हर समय, हर दिन - वर्ल्ड सर्वेन्ट हूँ - यह याद रखना। आपको याद है - ब्रह्मा बाप साइन क्या करते थे? वर्ल्ड सर्वेन्ट। तो वर्ल्ड सर्वेन्ट हैं, तो सिर्फ शिवरात्रि की सेवा से वर्ल्ड की सेवा समाप्त नहीं होगी। लक्ष्य रखो कि मैं वर्ल्ड सर्वेन्ट हूँ, तो वर्ल्ड की सेवा हर श्वांस में, हर सेकण्ड में करनी है। जो भी आवे, जिससे भी सम्पर्क हो, उसको दाता बन कुछ न कुछ देना ही है। खाली हाथ कोई नहीं जावे। अखण्ड भण्डारा हर समय खुला रहे। कम से कम हर एक के प्रति शुभ भाव और शुभ भावना, यह अवश्य दो। शुभ भाव से देखो, सुनो, सम्बन्ध में आओ और शुभ भावना से उस आत्मा को सहयोग दो। अभी सर्व आत्माओं को आपके सहयोग की बहुत-बहुत आवश्यकता है। तो सहयोग दो और सहयोगी बनाओ। कोई न कोई सहयोग चाहे मन्सा का, चाहे बोल से कोई सहयोग दो, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क से सहयोग दो, तो इस शिवरात्रि जन्म उत्सव का विशेष स्लोगन याद रखो - ``सहयोग दो और सहयोगी बनाओ''। कम से कम जो भी सम्पर्क-सम्बन्ध में आवे उसे सहयोग दो, सहयोगी बनाओ। कोई न कोई तो सम्बन्ध में आता ही है, उसकी और कोई खातिरी भल नहीं करो लेकिन हर एक को दिलखुश मिठाई जरूर खिलाओ। यह जो यहाँ भण्डारे में बनती है वह नहीं। दिल खुश कर दो। तो दिल खुश करना अर्थात् दिल खुश मिठाई खिलाना। खिलायेंगे! उसमें तो कोई मेहनत नहीं है। न टाइम एकस्ट्रा देना है, न मेहनत है। शुभ भावना से दिल खुश मिठाई खिलाओ। आप भी खुश, वह भी खुश और क्या चाहिए। तो खुश रहेंगे और खुशी देंगे, कभी भी आप सभी का चेहरा ज्यादा गम्भीर नहीं होना चाहिए। टूमच गम्भीर भी अच्छा नहीं लगता है। मुस्क-राहट तो होनी चाहिए ना। गम्भीर बनना अच्छा है, लेकिन टूमच गम्भीर होते हैं ना, तो वह ऐसे होते हैं जैसे पता नहीं कहाँ गायब हैं। देख भी रहे हैं लेकिन गायब। बोल भी रहे हैं लेकिन गायब रूप में बोल रहे हैं। तो वह चेहरा अच्छा नहीं। चेहरा सदा मुस्कराता रहे। चेहरा सीरियस नहीं करना। क्या करें, कैसे करें तो सीरियस हो जाते हो। बहुत मेहनत है, बहुत काम है... सीरियस हो जाते हो लेकिन जितना बहुत काम उतना ज्यादा मुस्कराना। मुस्कराना आता है ना? आता है? आपके जड़ चित्र देखो कभी ऐसे सीरियस दिखाते हैं क्या! अगर सीरियस दिखावे तो कहते हैं आार्टिस्ट ठीक नहीं है। तो अगर आप भी सीरियस रहते हो तो कहेंगे इसको जीने का आर्ट नहीं आता है। इसलिए क्या करेंगे? टीचर्स क्या करेंगे? अच्छा बहुत टीचर्स हैं, टीचर्स मुबारक हो। सेवा की मुबा-रक हो।

अच्छा - बापदादा ने और भी आप पूज्य आत्माओं की खुशखबरी सुनी। आप पूज्य आत्माओं को आज 36 प्रकार का भोग लगना है। क्यों? आपके जड़ चित्रों को भोग लगाते हैं लेकिन आप तो खाते नहीं हो। इसलिए अभी चैतन्य में भोग लगा लो। अच्छा किया, बापदादा को खुशी है कि हर एक बच्चा 36 प्रकार का भोग तो स्वीकार करेगा। थैली दिखा रहे हैं। जो बाहर बैठे हैं विदेश में या अपने-अपने सेन्टर पर। तो वह यहाँ टी.वी. में जब थैला देखो ना, थैला बांटेंगे ना तो आप थैले के अन्दर से वासना ले लेना। बाप-दादा सब सेन्टर वाले चाहे देश वाले, चाहे विदेश वाले सभी को इन सभी बच्चों से पहले खिला रहे हैं। खा लो, खा लो। और ऐसे करना जिस भी सेन्टर की टीचर आई है, जहाँ तक भेज सको वहाँ तक भेजना, एक-एक थैली भेजना। ज्यादा नहीं भेजना। एक-एक थैली सैम्पल के मात्र भेज देना। तो जब भी आप भोग स्वीकार करो तो किस स्वरूप से स्वीकार करेंगे? अपना पूज्य स्वरूप इमर्ज करना और पूज्य बन भोग स्वीकार करना। अच्छी बात की है। दादी को मुबारक ज्यादा है। अच्छा।

एक सेकण्ड में अपना पूर्वज और पूज्य स्वरूप इमर्ज कर सकते हो? वही देवी और देवताओं के स्वरूप के स्मृति में अपने को देख सकते हो? कोई भी देवी या देवता। मैं पूर्वज हूँ, संगमयुग में पूर्वज हैं और द्वापर से पूज्य हैं। सतयुग, त्रेता में राज्य अधिकारी हैं। तो एक सेकण्ड में सभी और संकल्प समाप्त कर अपने पूर्वज और पूज्य स्वरूप में स्थित हो जाओ। अच्छा।

भोपाल जोन की सेवा का टर्न है: अच्छा - भोपाल वाले उठो। झण्डी हिलाओ। सेवा का एकस्ट्रा फल और बल दोनों अनुभव किया? किया? क्योंकि यज्ञ सेवा का गोल्डन चांस कम भाग्य नहीं है। बहुत बड़ा भाग्य है। एकस्ट्रा बल, वायुमण्डल शक्तिशाली का बल मिलता है। और यज्ञ सेवा करने से जिन ब्राह्मण आत्माओं की सेवा करते हो उनकी दुआओं का फल मिलता है। तो यह चांस मिलना अर्थात् सेवा का एकस्ट्रा बल और फल खाना। तो सभी ने ऐसा अनुभव किया! किया? कितनी दुआयें जमा की? कितने जन्म यह दुआयें चलेंगी? वैसे तो सदा दुआओं के पात्र हो लेकिन यह दुआओं की भर-भर थालियां मिलती हैं। संगठन होता है ना। तो यह दुआयें अगर कायम रखेंगे तो आपके पुरूषार्थ में एक लिफ्ट की गिफ्ट हो जायेगी। अच्छा किया है। सबकी दुआयें खुशी बढ़ाती हैं। तो सदा इस दुआओं को साथ रखना। तो मुबारक हो। सेवा की मुबारक हो।

एज्युकेशन विंग की मीटिंग चल रही है:- एज्युकेशन वाले उठो। अच्छा - एज्युकेशन द्वारा हर एक आत्मा को मैं कौन हूँ, यह नॉलेज देने का कार्य कर भी रहे हो लेकिन अभी और भी सेवा रही हुई है। कम से कम यह तो नॉलेज सबको मिल जाए, मैं कौन हूँ और मेरा पिता कौन है। मैं कौन हूँ, यही नहीं जानते हैं, आश्चर्य की तो यही बात है। सारा समय मैं-मैं कहते लेकिन मैं कौन यह जानते नहीं। इसलिए एज्युकेशन वर्ग, अभी जगह-जगह पर जाकर यह पहला पाठ तो पक्का कराओ। बिचारे बेसमझ नहीं रह जायें, इतनी तो समझ मिले। तो रहमदिल आत्मायें हो ना। जैसे बाप कृपालु है, दयालु है तो आप भी मास्टर दयालु, कृपालु हो। तो इस समझ की कृपा करो। प्लैन बनाया है ना? नये-नये प्लैन बनाये! समय अनुसार सेवा की गति और फास्ट होगी क्योंकि समय बहुत फास्ट भाग रहा है। जैसे समय फास्ट भाग रहा है तो सेवा भी फास्ट होनी ही है। अच्छा है, वर्ग-वर्ग अलग होने से विश्व की आलराउण्ड आत्माओं के सेवा की तरफ अटेन्शन जाता है। तो बापदादा को वर्गाकरण की सेवा अच्छी लगती है। बहुत अच्छा, आये मिलन भी मनाया, मीटिंग भी की और प्रैक्टिकल तो करेंगे ही। मुबारक हो। अच्छा।

चारों ओर के कार्ड और पत्र बापदादा के पास बहुत पहुंच गये हैं। आप सबके कार्ड सभी ब्राह्मण आत्मायें भी देखकर खुश हो रही हैं। तो जिन्होंने भी कार्ड और पत्र भेजे हैं, उन सभी सिकीलधे, लाडले बच्चों को बाप के जन्म दिन और आप बच्चों के जन्म दिन की विशेष सम्मुख वालों से भी पहले आप सबको मुबारक हो। बहुत दिल से भेजते हैं तो दिल की बात तो दिलाराम जाने। अच्छा। कई इन्डिया के सेन्टर्स के सेवा के उमंग-उत्साह के और बापदादा को विशेष याद के पत्र, सन्देश, फोन आये हैं। बापदादा नाम कितनों का लेवे, लेकिन जिन्होंने भी अपने उमंग-उत्साह का समाचार दिया है, उन सभी को भी बापदादा सम्मुख दृष्टि में इमर्ज कर उमंग-उत्साह का रिटर्न बहुत-बहुत दिल की यादप्यार दे रहे हैं। सेवा में सदा ही ऐसे उमंग-उत्साह में उड़ते रहो। अच्छा।

चारों ओर के अलौकिक दिव्य अवतरण वाले बच्चों को बाप के जन्म दिन और बच्चों के जन्म दिन की दुआयें और यादप्यार, दिलाराम बाप की दिल में राइट हैण्ड सेवाधारी बच्चे सदा समाये हुए हैं। तो ऐसे दिल तख्तनशीन श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा बिन्दी के महत्व को जानने वाले श्रेष्ठ बिन्दी स्वरूप बच्चों को, सदा अपने स्वमान में स्थित रह सर्व को रूहानी सम्मान देने वाले स्वमानधारी आत्माओं को, सदा दाता के बच्चे मास्टर दाता बन हर एक को अपने अखण्ड भण्डार से कुछ न कुछ देने वाले मास्टर दाता बच्चों को बापदादा की बहुत-बहुत पदमगुणा, कोहिनूर हीरे से भी ज्यादा प्रभु नूर बच्चों को यादप्यार और नमस्ते।

सभी दादियों से,(दादी जानकी से):- चक्रवर्ती के संस्कार ज्यादा हैं। चक्रवर्ती बनके चक्कर लगाना अच्छा लगता है। (बाबा को सब देखें ना) देखना ही है। सिर्फ बच्चे थोड़े से एवररेडी हो जायें ना। एवरी टाइम एवररेडी, तो ठका हो जायेगा। देखेंगे, बोलेंगे भी। अहो प्रभू भी तो बोलेंगे। लेकिन खुशी से नहीं, पश्चाताप के रूप में। लेकिन बोलेंगे जरूर। सभी ठीक हैं, बहुत मजे में! बस देखो, आपके संगठन को देख सभी कितने खुश होते हैं। आप कुछ कहो, करो नहीं तो भी खुशी देते हो। पिल्लर्स हैं ना। सभी देखो कितने पक्के पिल्लर्स हैं। पिल्लर्स के मजबूती से आगे भी मजबूत होके चल रहे हैं। थोड़ा हिलते भी हैं तो पिल्लर्स उनका आधार बन जाता है। अच्छा।

हैदराबाद के भ्राता के.एस. राजू जी से:- अभी जल्दी-जल्दी आया करो तो सब काम ठीक हो जायेगा। अभी काम के पीछे नहीं पड़ो, काम आपके पीछे पड़े। अभी जल्दी-जल्दी आना। इतना समय नहीं लगाना। काम सब सहज हो जायेगा। (जो आज्ञा) आते रहेंगे शक्ति लेते रहेंगे तो कर्म में योग काम में आयेगा। ठीक है ना। वर्मयोगी। ज्यादा पीछे पड़ने से ठीक नहीं होता। जैसे परछाई होती है ना उसके पीछे पड़ो तो आगे-आगे जाती है, और आगे चलो तो पीछे-पीछे आती है, ऐसे यह है।

कर्नाटक हाई कोर्ट के जज से:- यहाँ जो कार्य चल रहा है विश्व परिवर्तन का, उसमें आप भी सहयोगी आत्मा हो। आपका भी कार्य अच्छा है। आत्माओं को समझ मिलती है। परिवर्तन सब चाहते हैं। तो यहाँ परिवर्तन की धुन लगी हुई है। उसमें आप भी बहुत अच्छे सहयोगी हैं और सहयोगी से योगी रहेंगे। सिर्फ सहयोगी नहीं रहना, योगी सहयोगी दोनों रहना। कर्मयोगी बनना। कर्म को नहीं छोड़ना है, कर्म और योग का बैलेन्स हो। जितना बैलेन्स रखेंगे उतनी ब्लैसिंग मिलेगी और मेहनत कम प्राप्ति ज्यादा होगी। (युगल से) यह भी साथ में है।

विदेश की बड़ी बहिनों से:- अभी तो विदेशियों को विशेष टर्न मिलना है। लाडले हैं ना। बापदादा खुश होते हैं। कोने-कोने में रही हुई आत्मायें वंचित न रह जाएं, यह सेवा उमंग-उत्साह से आप कर रहे हो और रिजल्ट अच्छे ते अच्छी निकल रही है। कोई उल्हना नहीं रहेगा। तो बापदादा खुश हैं। (अभी कुछ देश रहे हैं, वहाँ भी अक्टूबर तक सन्देश देने का प्लैन बना रहे हैं) होना ही है, अपने ही भाई-बहन हैं, तो मर्सीफुल तो बनना ही है। सन्देश तो मिल जाए फिर उन्हों का भाग्य।

प्यारे बापदादा ने अपने हस्तों से स्टेज पर झण्डा फहराया तथा सभी बच्चों को 68 वीं त्रिमूर्ति शिवजयन्ती की मुबारक दी:-

आप सबके दिलों में तो बाप की याद का झण्डा लहराता ही रहता है। यह झण्डा तो यादगार के रूप में मनाते हैं। लेकिन आपके दिल में बाप के प्रत्यक्षता का झण्डा लहरा रहा है। हर एक की दिल सदा क्या कहती! हर श्वांस क्या गाता? मेरा बाबा। और बाप-दादा भी हर सेकण्ड क्या गाता? मेरे मीठे-मीठे बच्चे। अभी वह दिन समीप लाना है जो हर एक आत्मा के दिल में बाप के प्रत्यक्षता का झण्डा लहराये। हर दिल कहे मेरा बाबा। जो पाना था वह पा लिया, इस गीत पर डांस करें। वह दिन भी दूर नहीं है। वाह! बाबा वाह! वाह! बाप के सिकीलधे बच्चे वाह! यह खूब नारा लगेगा। तो आज बापदादा सिर्फ यह झण्डा नहीं देख रहे हैं लेकिन हर एक बच्चे के दिल में जो बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा लहरा रहा है वह देख रहे हैं। आपके दिल में लहर गया है। अभी लहराना नहीं है, लहर रहा है। एक ही बाप संसार है, संसार बना दिया। ऐसे है ना। और कोई संसार है क्या! बाप ही संसार है। बाप के संस्कार ही मेरे संस्कार हैं। संसार भी है, संस्कार भी हैं। हैं ना? बहुत-बहुत सभी देश-विदेश के बच्चों को बाप के बर्थ डे का झण्डा लहराने की मुबारक हो, मुबारक हो।